तीनों मेयर भाजपा से निर्वाचन के बाद रिटर्निंग अफसर द्वारा तीनो को प्राप्त इलेक्शन सर्टिफिकेट में भाजपा का उल्लेख नहीं

तीनों मेयर भाजपा से निर्वाचन के बाद रिटर्निंग अफसर द्वारा तीनो को प्राप्त इलेक्शन सर्टिफिकेट में भाजपा का उल्लेख नहीं

तीनों मेयर भाजपा से निर्वाचन के बाद रिटर्निंग अफसर द्वारा तीनो को प्राप्त इलेक्शन सर्टिफिकेट में भाजपा का उल्लेख नहीं

तीनों मेयर भाजपा से निर्वाचन के बाद रिटर्निंग अफसर द्वारा तीनो को प्राप्त इलेक्शन सर्टिफिकेट में भाज

चंडीगढ़ -  बीते शनिवार 8 जनवरी को छठी नव निर्वाचित चंडीगढ़ नगर निगम सदन  के पहले वर्ष के लिए   मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर तीनो पदों हेतु करवाए गए चुनावों में  नाटकीय ढंग से भाजपा के ही प्रत्याशी विजयी रहे एवं सदन में 14 सीटें जीतकर  सबसे बड़ी पार्टी के रूप में आने के बावजूद आम आदमी पार्टी (आप ) एक  पद पर भी जीत हासिल करने में नाकाम रही. भाजपा ने हालांकि 12 सीटें जीती थी जो बढ़कर 13 हो गयीं क्योंकि   एक कांग्रेसी पार्षद पाला बदल कर भाजपा में शामिल हो गयी थी. इसके  अलावा चंडीगढ़ लोक सभा की मौजूदा भाजपा सांसद किरण खेर को मिलाकर, जिन्हे नगर निगम  में कानूनन वोटिंग अधिकार प्राप्त है, वह संख्या 14 हो गयी थी. कांग्रेस के शेष 7  और अकाली दल के 1 पार्षद ने उपरोक्त चुनावों में भाग नहीं लिया था. 

इसी बीच  पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने एक रोचक जानकारी देते हुए बताया  कि बेशक भाजपा उपरोक्त तीनो  पदों पर जीत का जश्न मना  रही है परन्तु कानूनी और आधिकारिक तौर पर नव-निर्वाचित मेयर सरबजीत कौर , सीनियर डिप्टी मेयर दलीप शर्मा  और डिप्टी मेयर अनूप गुप्ता तीनो भाजपा के पार्षद नहीं हैं  क्योंकि तीनों को उनके सम्बंधित वार्ड से पार्षद के तौर पर निर्वाचित होने के बाद सम्बंधित रिटर्निंग अफसर (आर.ओ.) द्वारा जो इलेक्शन सर्टिफिकेट (निर्वाचन प्रमाण पत्र ) प्रदान किया गया, उसमें भाजपा पार्टी का उल्लेख ही नहीं है. 

हालांकि   28 दिसंबर 2021  को राज्य चुनाव आयोग, यूटी, चंडीगढ़ द्वारा जारी एक गजट नोटिफिकेशन में हालांकि उपरोक्त तीनो के नाम के साथ उन्हें  भाजपा पार्टी से सम्बद्ध दर्शाया  गया है. 

बिलकुल ऐसा ही चंडीगढ़ नगर निगम के शेष  नव-निर्वाचित 32  पार्षदों के सम्बन्ध में ही है जहाँ उन सभी के पार्षद के तौर पर सम्बंधित आर.ओ. द्वारा जारी  इलेक्शन सर्टिफिकेट्स  में तो उनके राजनीतिक दल का नाम नहीं है परन्तु चुनाव आयोग द्वारा जारी उपरोक्त नोटिफिकेशन में उन्हें राजनीतिक दल से सम्बद्ध दर्शाया गया है. 

इसी बीच  पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने दस दिन पहले   चंडीगढ़ के राज्य चुनाव आयुक्त एसके श्रीवास्तव  और यूटी चंडीगढ़  के प्रशासक और आला अधिकारियों को  लिखकर उपरोक्त  जारी उपरोक्त  नोटिफिकेशन में नव-निर्वाचित पार्षदों के नामों के साथ उनके राजनीतिक दलों/पार्टियों का नाम  दर्शाने पर प्रश्न-चिन्ह उठाते हुए उसमें तत्काल संशोधन करने की मांग की थी  हालांकि आज तक इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी है .  

हेमंत ने बताया कि चूँकि  सभी 35 वार्डों से निर्वाचित पार्षदों के इलेक्शन सर्टिफिकेट में उनके राजनीतिक दल के नाम का  उल्लेख नहीं किया गया है इसलिए  चुनाव आयोग द्वारा उनके   निर्वाचन के सम्बन्ध में जारी  नोटिफिकेशन में उनके राजनीतिक दल का उल्लेख कैसे किया जा सकता है ?  

उन्होंने  आगे बताया कि उपरोक्त इलेक्शन सटिफिकेट यूटी चंडीगढ़ प्रशासन के स्थानीय स्वशासन विभाग द्वारा वर्ष 1995 में बनाये गए चंडीगढ़ नगर निगम (पार्षदों का निर्वाचन) नियमों, 1995 के नियम संख्या 75 के अंतर्गत एवं फॉर्म नंबर 19 के प्रारूप में वार्डो से जीतने वाले उम्मीदवारो को  सम्बंधित रिटर्निंग ऑफिसर
द्वारा  जारी किया जाता है एवं न तो उक्त नियम में और फॉर्म में  निर्वाचित पार्षद के राजनीतिक दल/पार्टी का नाम दर्शाने में कोई उल्लेख  है.

यही नहीं चुनाव आयोग, चंडीगढ़  द्वारा  जारी  निर्वाचन नोटिफिकेशन पंजाब नगर निगम कानून (चंडीगढ़ में विस्तार ) अधिनियम, 1994 की धारा  17 में जारी की गयी है एवं उसमें भी केवल नव-निर्वाचित पार्षदों के नामों को अधिसूचित करने का उल्लेख किया गया है एवं उनकी राजनीतिक सम्बद्धता दर्शाने  बारे में कोई उल्लेख नहीं है.  

हेमंत ने चंडीगढ़ नगर निगम चुनावो से पहले राज्य निर्वाचन आयोग, चंडीगढ़, यूटी प्रशासक, उनके एडवाइजर, चंडीगढ़ के गृह एवं स्थानीय स्वशासन विभाग के सचिव एवं अन्य को पहले प्रतिवेदन और फिर कानूनी नोटिस भेजकर चंडीगढ़ नगर निगम के आम चुनाव राजनीतिक पार्टियों  के चुनाव चिन्हों पर करवाने की  बजाये फ्री सिम्बल्स पर करवाने बारे लिखा था हालांकि चुनाव आयोग द्वारा ऐसा नहीं किया गया और राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्हो पर ही चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव करवाए गए.    

अत:  सभी 35 नव निर्वाचित पार्षदों के  इलेक्शन सर्टिफिकेट्स में उनके राजनीतिक दल का नाम नहीं होने से यह स्पष्ट हो गया है कि वह सभी  पार्षद कानूनी और तकनीकी तौर पर किसी भी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं है.  वैसे भी  चंडीगढ़ पर लागू पंजाब नगर निगम कानून (चंडीगढ़ में विस्तार ) अधिनियम, 1994 , जैसा  कि आज तक संशोधित है,  में  न तो राजनीतिक पार्टी/दल का उल्लेख नहीं और न ही निर्वाचित पार्षदों द्वारा दल-बदल विरोधी कोई प्रावधान  है. इस प्रकार हर  पार्षद बे रोक-टोक किसी  को भी समर्थन दे सकता है बेशक उसको चुनाव में उतारने वाली पार्टी कोई भी व्हिप या निर्देश जारी करे जिसकी अवहेलना करने पर पार्षद की नगर निगम  सदस्यता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उपरोक्त 1994 कानून की धारा 13 , जो पार्षदों की अयोग्यता से संबंधित है, में आज तक दल-बदल करने पर सदन से अयोग्यता को कोई  उल्लेख नहीं है.